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Hearing Loss in Old Age | Hearing Loss Treatment in Ambala

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Hearing Loss in Old Age | Hearing Loss Treatment in Ambala

Ignoring hearing loss is a common mistake which has many avoidable, deleterious consequences. Hearing loss treatment, especially in age related hearing loss is not only necessary but also very easy and effective in most cases. Remember : hearing aid changes life.

ऊँचा सुनायी देना, क्या यह उम्र का तक़ाज़ा है या कुछ और?

उम्र का तक़ाज़ा समझ कर अपने बुजुर्गों के जीवन स्तर को नीचे ना गिरने दें, आज ही अपने बड़ों की सुनवाई की जाँच करवाएं। कान से कम सुनाई देने का इलाज टालना आम बात है। पर इसके अनेक हानिकारक परिणाम हैं। यहाँ तक कि मस्तिष्क पर भी स्थायी असर हो सकता है। याद रखें श्रवण दोष का इलाज अति आवश्यक है। आंशिक बहरापन अधिकतर मरीज़ों में सरलता से, काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

Hearing Loss or Deafness : बुढ़ापे में कम सुनाई देने की समस्या, कारण और इलाज

बुढ़ापा मानव जीवन का एक ऐसा पड़ाव है, जिसमें व्यक्ति कई बीमारियों से घिर जाता है। एक बूढ़े व्यक्ति का जीवन मुश्किलों से भरा होता है, जहां उसके दांत टूट जाते हैं, सबकुछ धुंधला दिखाई देता है, कम सुनाई (Hearing ability) देता है, कमर झुक जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। बुढ़ापे में लगभग हर व्यक्ति की सनाई देने की क्षमता प्रभावित (Age-Related Hearing Loss) होने लगती है।

Effect of Untreated Hearing Loss

पर इसे बुढ़ापे का असर मान कर इसका ईलाज ना करवाना और इससे समझौता कर लेना अन्य बीमारियों को न्योता देता है, ब्रेन पर स्थायी असर पड़ सकता है तथा जीवन स्तर को गिराता है। जब कान या सुनने की नर्व में खराबी आती है तो बात को समझने की लिए मस्तिक्ष को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है इससे व्यक्ति को मानसिक थकान होती है साथ ही मस्तिक्ष पहले की मुकाबले अच्छे से काम नहीं कर पाता डॉक्टर्स की भाषा में इसे “Cognitive Decline” कहते हैं। Hearing Loss के कारण Dementia का रिस्क भी बढ़ जाता है । Dementia में मरीज़ की यादाश्त एवं सोचने की शक्ति में गिरावट आती है और इसका मरीज़ एवं परिवार दोनों की डेली लाइफ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। 95% बुजुर्गों का हियरिंग लोस्स Hearing Aid लगाने से काफी हद तक ठीक हो सकता है ।

Hearing Loss बुजुर्गों से उनकी रोज़मर्रा की छोटी छोटी खुशियां चीन लेता है जैसे की अब वो छोटी बच्चों की आवाज़ें नहीं सुन पते, संगीत का आनंद नहीं उठा पाते, फ़ोन पर बातचीत नहीं कर पाते एवं टीवी पर मनोरंजन नहीं कर पाते, ऊपर से परिवार की बाकी लोग भी उन से परेशान हो जाते हैं खो कुछ और बुज़ुर्ग समझते कुछ और हैं। उचित प्रकार से ना सुन पाने की वजह से बुज़ुर्ग लोगों में गुस्सा, चिड़चडाहट, घबराहट जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं, वे परिवार में घुलने मिलने की बजाय अकेले रहने लगते हैं, उनके मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं की उन्ही की घर वाले जैसे की उन से कोई बात छुपा रहे हों, ना सुन पाने की वजह से वो घर, पार्क इत्यादि जगहों पर जाने से घबराते हैं, घर में लोग मिलने आएं तो उनके बीच में भी बैठना नहीं चाहते, सुस्त हो जाते हैं, वह पहले जैसे अलर्ट भी नहीं रह पाते, टकराना या गिरने जैसे समस्यायों का भी सामना करना पड़ता है। धीरे धीरे वे सभी लोगों से कटने लग जाते हैं और चुप चाप रहने लग जाते हैं ।

दरअसल, बुढ़ापे में कान के पर्दे कमजोर हो जाते हैं, जहां कोक्लिया की कोशिकाएं कमजोर पड़ने के कारण सुनने में समस्या आती है। यह समस्या 50, 60 या 70 किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है। एक बार ये समस्या शुरू हो जाए तो इसे तुरंत रोक पाना संभव नहीं होता है। किसी की बात को सुनने में समस्या (Hearing Loss or Deafness), रेडियो या टीवी को पहले की तुलना में तेज आवाज में सुनना, फोन पर बात करने में समस्या आदि सब इसके लक्षण हैं।”

सुनने में हो रही है परेशानी तो रुक सकता है मानसिक विकास : विशेषज्ञ

हालांकि, यह एक बुजुर्गों वाली समस्या है लेकिन ईएनटी (कान, नाक, गला) विशेषज्ञ से जांच कराना आवश्यक होता है। आज, इससे जुड़े कई ऐसे विकल्प हैं, जिससे बुजुर्गों के लिए सुन पाना संभव हो गया है। इसके लिए पहले व्यक्ति को 2 टेस्ट करवाने पड़ते हैं। ईएनटी विशेषज्ञ दोनों टेस्टों की मदद से यह सुनिश्चित करता है कि मरीज को किस विकल्प की आवश्यकता है।

बढ़ती उम्र में बहरेपन का कारण (Causes of deafness in old age)

  • बढ़ती उम्र में बहरापन प्राकृतिक कारणों से होता है। 60 वर्ष उम्र होने के बाद अधिकतर लोगों को कम सुनाई देता है। जो लोग 75 वर्ष के होते हैं, उनमें बहरेपन की समस्या सबसे अधिक देखी जाता है। इनमें 50 प्रतिशत तक बहरा होने की संभावना होती है।
  • शोर, ध्वनि प्रदूषण के कारण भी कान के सुनने की क्षमता खराब होने लगती है।
  • कुछ दवाओं के नियमित सेवन से भी बहरेपन की समस्या होती है।
  • कई बार गंभीर रूप से सिर पर चोट लगने से बहरापन हो सकता है।
  • कान में होने वाले गंभीर संक्रमण को नजरअंदाज करने से भी कान की सुनने की क्षमता होती है प्रभावित।
  • कान में जमी मैल को महीनों ना साफ करें तो सुनाई देने में समस्या आ सकती है। हालांकि, यह बहरापन अस्थायी होती है।
  • कान में ट्यूमर होना, अनुवांशिक कारणों से भी बहरापन हो सकता है।

सुनने की समस्या को दूर करने के उपाय (Ways to Overcome problem of Hearing)

आमतौर पर, इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सुनने की मशीन दी जाती है। हालांकि, इस मशीन के जरिए कई बुजुर्गों को लाभ मिला है, लेकिन यह कुछ हद तक ही काम करती है। यदि कान के पर्दे पूरी तरह से खराब हो गए हैं तो ऐसे में उचित इलाज के साथ कोक्लियर इंप्लान्ट की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया में, सर्जरी की मदद से मरीज के अंदरूनी कान में एक मशीन लगाई जाती है, जो कान के बाहर लगाई गई मशीन की मदद से चलती है।

बाहर लगाई गई मशीन को किसी भी वक्त उतारा या पहना जा सकता है। कोक्लियर इम्प्लांट डिवाइस मेडिकल उपकरण होते हैं जो कान की कोशिकाओं को उत्तेजित करने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल का उपयोग करते हैं जिससे मरीज को सुनने में सहायता मिलती है।

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